'शनि अमावस्या' ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती एवं ढैय्या के दौरान शनि व्यक्ति को अपना शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं। 'शनि अमावस्या' बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन शनि देव को प्रसन्न करके व्यक्ति शनि के कोप से अपना बचाव कर सकते हैं। पुराणों के अनुसार शनि अमावस्या के दिन शनि देव को प्रसन्न करना बहुत आसान होता है। शनि अमावस्या के दिन शनि दोष की शांति बहुत ही सरलता कर सकते हैं। इस दिन महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया 'शनि स्तोत्र' का पाठ करके शनि की कोई भी वस्तु जैसे- काला तिल, लोहे की वस्तु, काला चना, कंबल, नीला फूल दान करने से शनि साल भर कष्टों से बचाए रखते हैं। जो लोग इस दिन यात्रा में जा रहे हैं और उनके पास समय की कमी है, वह सफर में 'शनि नवाक्षरी मंत्र' अथवा 'कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम:। सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत:।।' मंत्र का जप करने का प्रयास करते हैं तो शनि देव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।
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